मेरे जहन में रुकी रही यादें तेरी,
जब तक इस जिस्म में जान थी।
दर दर पर दुआ मांगी तेरे वास्ते,
पर करू क्या किस्मत मेरी खुदा से अनजान थी।
अरे अब तो टूटी दीवारे ही रह गई है इस मक़ान मे,
कोई क्या जाने कभी छत भी इसकी शान थी।
कभी फक्र किया करता था मेरी मोहब्बत और महबूबा पर,
क्या पता की ये महबूबा दो दिन की मेहमान थी।
यु तो मेने सब कुछ लुटा दिया था उस हुस्न मलिका पर , पर में करता क्या उसकी तो बेवफाई से पहचान थी।
यु तो हम उम्र भर जीते रहे इमान के साथ,
पर क्या पता हमें की ये दुनिया ही बईमान थी ।
यारो अपने अंदाज़ में हमने ज़िन्दगी जी ली पर भूल गए की आखिरी मंजिल तो शमशान थी।
अब तो बेचैनी की बू आती है, इस फिजा से,
हमें क्या पता की वो अपने कद्रदानो से ही परेशान थी।
Don’t cry over the past, it’s gone. Don’t stress about the future, it hasn’t arrived. Live in the present and make it beautiful.. बीते समय के लिए मत रोइए, वो चला गया, और भविष्य की चिंता करना छोड़ो क्यूंकि वो अभी आया ही नहीं है, वर्तमान में जियो , इसे सुन्दर बनाओ...
Tuesday, 29 November 2016
टीस
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