Thursday, 29 September 2016

दुःख का कारण

Day - 1
जब भगवान ने दुनिया बनाई, तब उसने पहले कुत्ते को बनाया | भगवान ने कुत्ते से कहा, तुम दिन भर घर के बहार बैठे रहना और जो भी वहां से गुजरे उन पर भोंकना और में तुम्हें जीने के लिए 20 साल की उम्र देता हूँ | कुत्ते ने कहा – यह बहुत ज्यादा हैं में 20 साल तक कैसे भोंकता रहूँगा, मुझे सिर्फ 10 साल दे दों जीने के लिए और में 10 साल आपको वापस करता हूँ | भगवान ने कुत्ते की बात मान ली और उसे 10 साल की उम्र दे दी |
Day – 2
और फिर दूसरे दिन भगवान ने बंदर बनाएं और भगवान ने बंदर से कहा – तुम लोगों का मनोरंजन करना, उन्हें करतब दिखाना और उन्हें खूब हसाना | में तुम्हें जीने के लिए 20 साल की उम्र देता हूँ | बन्दर ने कहा – करतब दिखाने के लिए 20 साल की उम्र ? आपको यह ज्यादा नहीं लगती, में भी उन कुत्तों की तरह आपको 20 साल की उम्र में से 10 साल आपको वापस लौटाता हूँ | भगवान राजी हो गया |
Day – 3
दुनिया बनाने के तीसरे दिन भगवान ने गाय बनायीं | उन्होंने गाय से कहा तुम जंगलों, मैदानों में किसान के साथ जाना, दिन भर तेज़ धुप में भी किसान की गुलामी करना और उन्हें पिने के लिए दूध देने की सहायता भी करना | में तुम्हें जीने के लिए 60 साल की उम्र देता हूँ | गाय ने कहा – इस तरह की कठिन और पारिश्रमिक जिंदगी के लिए आप मुझे 60 साल की उम्र दे रहे हैं, आप मुझे सिर्फ 20 साल की उम्र दे दो और बाकी वापस लेलों | भगवान राजी हो गएं और उन्होंने गाय की बात मान ली |
Day – 4
दुनिया बनाने के चौथे दिन भगवान ने इंसान को बनाया, और कहा तुम – सोना, भर-पेट खाना, खेलना, शादी करना, अपनी जिंदगी में खूब मजे करना में तुम्हें जीने के लिए 20 साल देता हूँ | इंसान ने कहा – क्या ? सिर्फ २० साल ? में बताता हूँ आपको, में मेरे 20 साल, और 40 वो जो गाय ने आपको दियें थे, 10-10 वो जो कुत्ते और बन्दर ने आपको दियें थे, यह सब कर के 80 होते हैं, और मुझे इतना ही चाहिए, ठीक हैं ? भगवान राजी हो गएं और उन्होंने हां कर दी |
तो इसीलिए हमारे जीवन के पहले 20 साल हम खूब खाते हैं, सोते हैं, खेलतें हैं, और अपने जीवन को ठीक से जी पाते हैं | फिर अगले 40 साल हम गुलामी करते हैं, अपने परिवार की रक्षा करते हैं, फिर अगले 10 साल हम बंदरो की तरह अपने पोते-पोतियों को हँसाते हैं और फिर आखिरी 10 साल हम एक जगह बैठ जातें हैं और घर के सदस्यों पर भोंकते हैं | मनुष्य जिंदगी को आपके सामने बहुत अच्छे से Explained कर दिया गया हैं……….. (हमारी और-और मांगने की आदत से ही हम परेशान हैं, हमें जितना मिलता हैं उससे हम कभी संतुष्ट ही कहा हुए | हमारे दुखो का कारण सिर्फ एक है और वह हैं – असंतुष्टि |)

Wednesday, 28 September 2016

बिहारी लाल की जय

एक बार की बात है - वृंदावन का एक साधू अयोध्या की गलियों में राधे कृष्ण - राधे कृष्ण जप रहा था । अयोध्या का एक साधू वहां से गुजरा तो राधे कृष्ण राधे कृष्ण सुनकर उस साधू को बोला - अरे जपना ही है तो सीता राम जपो, क्या उस टेढ़े का नाम जपते हो ? वृन्दावन का साधू भड़क कर बोला - जरा जबान संभाल कर बात करो, हमारी जबान पान खिलाती हैं तो लात भी खिलाती है । तुमने मेरे इष्ट को टेढ़ा कैसे बोला ? अयोध्या वाला साधू बोला इसमें गलत क्या है ? तुम्हारे कन्हैया तो हैं ही टेढ़े । कुछ भी लिख कर देख लो- उनका नाम टेढ़ा - कृष्ण उनका धाम टेढ़ा - वृन्दावन वृन्दावन वाला साधू बोला चलो मान लिया, पर उनका काम भी टेढ़ा है और वो खुद भी टेढ़ा है, ये तुम कैसे कह रहे हो ? अयोध्या वाला साधू बोला - अच्छा अब ये भी बताना पडेगा ? तो सुन - यमुना में नहाती गोपियों के कपड़े चुराना, रास रचाना, माक्खन चुराना - ये कौन से सीधे लोगों के काम हैं ? और बता आज तक किसी ने उसे सीधे खडे देखा है क्या कभी ? वृन्दावन के साधू को बड़ी बेईज्जती महसूस हुई , और सीधे जा पहुंचा बिहारी जी के मंदिर । अपना डंडा डोरिया पटक कर बोला - इतने साल तक खूब उल्लू बनाया लाला तुमने । ये लो अपनी लकुटी, कमरिया और पटक कर बोला ये अपनी सोटी भी संभालो । हम तो चले अयोध्या राम जी की शरण में ,और सब पटक कर साधू चल दिया। अब बिहारी जी मंद मंद मुस्कुराते हुए उसके पीछे पीछे । साधू की बाँह पकड कर बोले अरे " भई तुझे किसी ने गलत भड़का दिया है " पर साधू नही माना तो बोले, अच्छा जाना है तो तेरी मरजी , पर यह तो बता राम जी सीधे और मै टेढ़ा कैसे ? कहते हुए बिहारी जी कुए की तरफ नहाने चल दिये । वृन्दावन वाला साधू गुस्से से बोला - " नाम आपका टेढ़ा- कृष्ण, धाम आपका टेढ़ा- वृन्दावन, काम तो सारे टेढ़े- कभी किसी के कपडे चुरा लिए ,कभी गोपियों के वस्त्र चुरा लिए और सीधे तुझे कभी किसी ने खड़े होते नहीं देखा। तेरा सीधा है क्या "। अयोध्या वाले साधू से हुई सारी झैं झैं और बईज़्जती की सारी भड़ास निकाल दी। बिहारी जी मुस्कुराते रहे और चुपके से अपनी बाल्टी कूँए में गिरा दी । फिर साधू से बोले अच्छा चले जाना पर जरा मदद तो कर जा, तनिक एक सरिया ला दे तो मैं अपनी बाल्टी निकाल लूं । साधू सरिया ला देता है और श्री कृष्ण सरिये से बाल्टी निकालने की कोशिश करने लगते हैं । साधू बोला इतनी अक्ल नही है क्या कि सीधे सरिये से भला बाल्टी कैसे निकलेगी ? सरिये को तनिक टेढ़ा कर, फिर देख कैसे एक बार में बाल्टी निकल आएगी ! बिहारी जी मुस्कुराते रहे और बोले - जब सीधेपन से इस छोटे से कूंए से एक छोटी सी बाल्टी नहीं निकाल पा रहा, तो तुम्हें इतने बडे़ भवसागर से कैसे पार लगाउंगा ! अरे आज का इंसान तो इतने गहरे पापों के भवसागर में डूब चुका है कि इस से निकाल पाना मेरे जैसे टेढ़े के ही बस की बात है ! " बोलो टेढ़े वृन्दावन बिहारी लाल की जय "

गंजापन

गंजापन *गंजेपन व बाल झड़ने से परेशान हैं ?* * दही को तांबे के बर्तन से ही इतनी देर रगडे़ कि वह हरा हो जाए। इसे सिर में लगाने से गंजेपन की जगह बाल उगना शुरू हो जाते हैं।* * मेथी के बीजों का पेस्ट बालों में लेप करने से बालों का झड़ना बन्द हो जाता है।* * चुकन्दर के पत्ते का रस सिर में मालिश करने से गंजेपन का रोग मिट जाता है और नये बाल आना शुरू हो जाते हैं।* * नीम के पत्ते 10 ग्राम तथा बेर के पत्ते 10 ग्राम लेकर दोनों को अच्छी तरह पीसकर इसका उबटन (लेप) तैयार कर लें। इसके बाद इस लेप को सिर पर लगाकर 1 से 2 घण्टे बाद धोने से बाल उग आते हैं। इसका प्रयोग एक महीने तक करने से लाभ मिलता है।* * उड़द की दाल को उबालकर पीस लें। रात को सोने के समय सिर पर लेप करें। इससे गंजापन धीरे-धीरे दूर हो जाता है और नये बाल आना शुरू हो जाते हैं।* * गंज (सिर पर कहीं से बाल उड़ जाने को गंज कहते हैं) वाले भाग पर प्याज का रस रगड़ने से बाल वापस उगने लगते हैं और बाल गिरने रुक जाते हैं।* * प्याज के रस में नमक और कालीमिर्च का पाउड़र मिलाकर मालिश करने से सिर की दाद के कारण सिर के उड़ गये बाल फिर से आने लगते हैं।* * प्याज का रस शहद में मिलाकर गंजेपन की जगह पर लगाने से फिर से बालों का उगना शुरू जाता है।* * पके केले के गूदे को नींबू के रस में मिलाकर लगाने से गंजेपन का रोग मिट जाता है।* * हरे धनिया का पानी निकालकर (पत्ते का रस) सिर पर मालिश करने से गंजेपन का रोग मिट जाता है और नये बाल आना शुरू हो जाते हैं।* * अलसी के तेल में बरगद (वटवृक्ष) के पत्तों को जलाने के बाद उसे पीसकर और छानकर रख लें। इस तेल को सुबह-शाम सिर में लगायें। इसी तरह इसे लगाते रहने से सिर पर फिर से बालों का उगना शुरू हो जाता है।* * बालों में भाप देने से बाल रेशम की तरह चमकदार और स्वस्थ होते हैं। इससे बालों का झड़ना भी बन्द हो जाता है। भाप देने के लिए सबसे पहले एक भगोने में गर्म पानी लें और एक तौलिये में इसे भिगोकर हल्का सा निचोड़कर बालों में लपेट लें। ठंड़ा होने पर दूसरे तौलिया को इसी तरह भिगोकर लपेटें। इसी तरह 10 मिनट तक भाप दें। जिस दिन बालों में भाप देनी है उससे एक दिन पहले ही सिर में तेल लगा लें।* * सूखे आंवले को रात में पानी में भिगोकर रख दें। सुबह इसी पानी से सिर को धोयें। इससे बालों की जड़ें मजबूत हो जाती हैं |* * कम उम्र में बाल गिरते हों और बाल सफेद हो गये हों तो इसके लिए तुलसी के पत्ते और आंवले का चूर्ण पानी के साथ मिलाकर सिर में मालिश करें। इसके 10 मिनट बाद सिर को धो लें। इससे बालों का झड़ना कम होता है तथा बाल काले और लंबे भी होते हैं।* * मेंहदी के पत्ते और चुकन्दर के पत्ते को चटनी की तरह पीसकर सिर में लगाने से बालों का गिरना बन्द हो जाता है और नये बाल आ जाते हैं।*

देशी नुस्खे

आपको याद है? जब भी आपकी तबियत खराब होती थी तो आपकी दादी घरेलू नुस्खों से आपकी बीमारी झट से ठीक कर देती थीं। इससे पता चलता है कि भारतीय रसोई किसी फार्मेसी से कम नहीं है। यहां आपको हर बीमारी की दवा मिल जाएगी। यहां जानिए कुछ ऐसे नुस्खे के बारे में जो आपको हर बीमारी से निजात दिलाएंगे। अदरक की चाय : एक कहावत है, "बंदर क्या जाने अद्रक का स्वाद" क्योंकि अद्रक कड़वी जो होती है। लेकिन जिसको ये स्वाद अच्छा लग गया, सेहत उसी की है। अद्रक न सिर्फ चाय का स्वाद बढ़ाती है, बल्कि सर्दी जुखाम से भी बचाती है। अद्रक की चाय माइग्रेन में भी लाभकारी होती है। अजवाइन और नमक : नमक-अजवाइन के पराठे तो सबको अच्छे लगते हैं लेकिन जब पेट खराब या बदहजमी हो, तो बस आधा चम्मच अजवाइन एक चुटकी नमक के साथ फांके और बदहजमी हटाएं। तुलसी और काली मिर्च : तुलसी ज्यादातर सबके घरों में पाई जाती है, क्योंकि ये सिर्फ पूजी ही नहीं जाती, बीमारियों से भी बचाती है। 10-15 तुलसी के पत्ते और 8-10 काली मिर्च के दानों की चाय बनाकर पीने से खांसी, सर्दी और बुखार में आराम मिलता है। गर्म दूध और हल्‍दी : हल्‍दी एक मसाला ही नहीं, बल्कि इसमें कई औषधीय गुण भी हैं। सौंदर्य से ले कर त्‍वचा, पेट और सर्दी आदि के लिए भी हल्‍दी उपयोगी होती है। चोट-चपेट, दर्द या सर्दी जुखाम में बस एक कप गर्म दूध में दो-तीन चुटकी हल्दी मिलाकर पीने से आराम मिलता है। कच्चे बादाम : बादाम सिर्फ हलुए में ही नहीं, सेहत के लिए भी अच्छे हैं। गर्मी में रातभर भिगोकर और छिलका निकालकर खाना चाहिए और सर्दियों में ऐसे ही। ये आंखों की रोशनी बढ़ाते हैं, याददाश्त बढ़ते हैं और शरीर में गर्मी भी लाते हैं। सरसों का तेल : साग तो सरसों के तेल में ही अच्छा लगता है। लेकिन ये एक ऐसा गुणकारी तेल है जो जरा सा गर्म कर के जोड़ों में लगाया जाए तो दर्द में आराम मिलता है, सर्दी से राहत मिलती है और खुश्की भी खत्म होती है। एक कटोरी दही : दूध और दही भारतीय रसोई में ढेरों तरह से इस्तेमाल होते हैं। अगर बालों में रूसी हो, तो बस दही हल्के हाथों से बालों में लगाएं। रूसी होगी गायब और बालों में आएगी चमक और जान। एक चम्मच चीनी : चीनी सिर्फ चाय और दूध में मिठास के लिए नहीं बल्कि दवा के रूप में भी इस्तेमाल होती है. जब हिचकी आए और आप परेशान हो जाएं तो बस एक चम्मच चीनी मुंह में डालें और धीरे-धीरे चबाएं। इससे आपको जल्द ही राहत मिलेगी। नींबू और शहद : ये है एक जबरदस्त नुस्खा वजन कम करने के लिए। अगर आप अपना वज़न कम करना चाहते हैं तो बस एक ग्लास गर्म पानी में 1 नींबू का रस और 2 चम्मच शहद मिलाकर पिएं और मोटापे को कम करें।

Tuesday, 27 September 2016

सुंदरकांड पाठ से बनते हैं बिगड़े काम, ये है पाठ का सही तरीका


हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए अगर कोई सबसे सटीक उपाय है तो वह है हनुमानचालिसा तथा सुंदरकांड का पाठ। इन दो में से कोई भी एक उपाय श्रद्धापूर्वक करने पर बजरंग बली अपने भक्तों से प्रसन्न होकर उनके सभी बिगड़े काम बना देते हैं।

श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड अध्याय में बजरंग बली की महिमा का विस्तृत वर्णन मिलता है। इसमें विशेष रूप से हनुमान जी के विजय का गान किया गया है जो पढ़ने वाले में आत्मविश्वास का संचार करता है। सुंदरकांड पाठ की सबसे खास बात यह है कि इससे ना सिर्फ हनुमानजी का आशीर्वाद मिलता है बल्कि भगवान श्रीराम का भी आर्शीवाद प्राप्त होता है।

कुंडली के बिगड़े ग्रहों को संवार देता है सुंदरकांड का पाठ

ज्योतिषियों के अनुसार विशेष रूप से शनिवार तथा मंगलवार को सुंदरकांड का पाठ करने वाले को सभी विपत्तियों से छुटकारा मिलता है और अनेकानेक अच्छे परिणाम सामने आते हैं। इसके सस्वर पाठ से घर में मौजूद नकारात्मक शक्तियां यथा भूत-प्रेत, चुडैल, डायन आदि भी घर से चली जाती हैं। साथ ही घर के सदस्यों पर आए बड़े से बड़े संकटों सहज ही टल जाते हैं। इसके अलावा यदि जन्मकुंडली या गोचर में शनि, राहु, केतु या अन्य कोई दुष्ट ग्रह बुरा असर दे रहा है तो वह भी सहज ही टल जाता है। शनि की साढ़े साती व ढैय्या में इसका प्रयोग विशेष रूप से किया जाता है।

ऐसे करें सुंदर कांड का पाठ

सुंदरकांड का पाठ विशेष रूप से शनिवार तथा मंगलवार को करने पर सभी संकटों का नाश करता है। परन्तु आवश्यकता होने पर इसका पाठ कभी भी किया जा सकता है। पाठ करने से पहले भक्त को स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए। इसके बाद किसी निकट के मंदिर अथवा घर पर ही एक चौकी पर हनुमानजी की तस्वीर/ प्रतिमा को विराजमान कर स्वयं एक आसन पर बैठ जाएं।

इसके बाद बजरंग बली की प्रतिमा/ चित्र को सादर फूल-माला, तिलक, चंदन, आदि पूजन सामग्री अर्पण करनी चाहिए। यदि किसी हनुमान मंदिर में कर रहे हैं तो उनकी हनुमान प्रतिमा को चमेली का तेल मिश्रित सिंदूर भी चढ़ा सकते हैं। देसी घी का दीपक जलाना चाहिए। इसके बाद भगवान श्रीगणेश, शंकर-पार्वती, भगवान राम-सीता-लक्ष्मण तथा हनुमान जी को प्रणाम कर अपने गुरुदेव तथा पितृदेवों का स्मरण करें।

तत्पश्चात हनुमानजी को मन-ही-मन ध्यान करते हुए सुंदरकांड का पाठ आरंभ करें। पूर्ण होने पर हनुमानजी की आरती करें, प्रसाद चढ़ाएं तथा वहां मौजूद सभी लोगों में बांटे। आपके सभी बिगड़े हुए काम तुंरत ही पूरे होंगे।

THINK POSITIVE

एक राजा के पास कई हाथी थे, लेकिन एक हाथी बहुत शक्तिशाली था, बहुत आज्ञाकारी, समझदार व युद्ध-कौशल में निपुण था। बहुत से युद्धों में वह भेजा गया था और वह राजा को विजय दिलाकर वापस लौटा था, इसलिए वह महाराज का सबसे प्रिय हाथी था। समय गुजरता गया ...और एक समय ऐसा भी आया, जब वह वृद्ध दिखने लगा। अब वह पहले की तरह कार्य नहीं कर पाता था। इसलिए अब राजा उसे युद्ध क्षेत्र में भी नहीं भेजते थे। एक दिन वह सरोवर में जल पीने के लिए गया, लेकिन वहीं कीचड़ में उसका पैर धँस गया और फिर धँसता ही चला गया। उस हाथी ने बहुत कोशिश की, लेकिन वह उस कीचड़ से स्वयं को नहीं निकाल पाया। उसकी चिंघाड़ने की आवाज से लोगों को यह पता चल गया कि वह हाथी संकट में है। हाथी के फँसने का समाचार राजा तक भी पहुँचा। राजा समेत सभी लोग हाथी के आसपास इक्कठा हो गए और विभिन्न प्रकार के शारीरिक प्रयत्न उसे निकालने के लिए करने लगे। जब बहुत देर तक प्रयास करने के उपरांत कोई मार्ग नहीं निकला तो राजा ने अपने सबसे अनुभवी मंत्री को बुलवाया। मंत्री ने आकर घटनास्थल का निरीक्षण किया और फिर राजा को सुझाव दिया कि सरोवर के चारों और युद्ध के नगाड़े बजाए जाएँ। सुनने वालोँ को विचित्र लगा कि भला नगाड़े बजाने से वह फँसा हुआ हाथी बाहर कैसे निकलेगा, जो अनेक व्यक्तियों के शारीरिक प्रयत्न से बाहर निकल नहीं पाया। आश्चर्यजनक रूप से जैसे ही युद्ध के नगाड़े बजने प्रारंभ हुए, वैसे ही उस मृतप्राय हाथी के हाव-भाव में परिवर्तन आने लगा। पहले तो वह धीरे-धीरे करके खड़ा हुआ और फिर सबको हतप्रभ करते हुए स्वयं ही कीचड़ से बाहर निकल आया। अब मंत्री ने सबको स्पष्ट किया कि हाथी की शारीरिक क्षमता में कमी नहीं थी, आवश्यकता मात्र उसके अंदर उत्साह के संचार करने की थी। हाथी की इस कहानी से यह स्पष्ट होता है कि यदि हमारे मन में एक बार उत्साह – उमंग जाग जाए तो फिर हमें कार्य करने की ऊर्जा स्वतः ही मिलने लगती है और कार्य के प्रति उत्साह का मनुष्य की उम्र से कोई संबंध नहीं रह जाता। जीवन में उत्साह बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि मनुष्य सकारात्मक चिंतन बनाए रखे और निराशा को हावी न होने दे। कभी – कभी निरंतर मिलने वाली असफलताओं से व्यक्ति यह मान लेता है कि अब वह पहले की तरह कार्य नहीं कर सकता, लेकिन यह पूर्ण सच नहीं है. Think positively. "सकारात्मक सोच ही आदमी को "आदमी" बनाती है....उसे अपनी मंजील तक ले जाती है!!!!!

तांबे के बर्तन में पानी पीने के लाभ

तांबे के बर्तन से पानी पीने के 12 स्वास्थ्य लाभ हम में से ज्यादातर लोगों ने अपने दादा-दादी से तांबे के बर्तन में संग्रहीत पानी पीने के स्वास्थ्य लाभों के बारे में सुना होगा। कुछ लोग तो पानी पीने के लिए विशेष रूप से तांबे से बने गिलास और जग का उपयोग करते हैं। लेकिन क्या इस धारणा के पीछे वास्तव में कोई वैज्ञानिक समर्थन है? या यह एक मिथक है बस? तो आइए तांबे के बर्तन में पानी पीने के बेहतरीन कारणों को जाने 1 . तांबे के बर्तन में पानी पीना अच्छा क्यों है? आयुर्वेद के अनुसार, तांबे के बर्तन में संग्रहीत पानी में आपके शरीर में तीन दोषों (वात, कफ और पित्त) को संतुलित करने की क्षमता होती है और यह ऐसा सकारात्मक पानी चार्ज करके करता है। तांबे के बर्तन में जमा पानी 'तमारा जल' के रूप में भी जाना जाता है और तांबे के बर्तन में कम 8 घंटे तक रखा हुआ पानी ही लाभकारी होता है। 2. तांबे के बर्तन में पानी पीने के फायदे जब पानी तांबे के बर्तन में संग्रहित किया जाता है तब तांबा धीरे से पानी में मिलकर उसे सकारात्मक गुण प्रदान करता है। इस पानी के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि यह कभी भी बासी (बेस्वाद) नहीं होता और इसे लंबी अवधि तक संग्रहित किया जा सकता है। 3. बैक्टीरिया समाप्त करने में मददगार तांबे को प्रकृति में ओलीगोडिनेमिक के रूप में (बैक्टीरिया पर धातुओं की स्टरलाइज प्रभाव) जाना जाता है और इसमें रखे पानी के सेवन से बैक्टीरिया को आसानी से नष्ट किया जा सकता है। तांबा आम जल जनित रोग जैसे डायरिया, दस्त और पीलिया को रोकने में मददगार माना जाता है। जिन देशों में अच्छी स्वच्छता प्रणाली नहीं है उन देशों में तांबा पानी की सफाई के लिए सबसे सस्ते समाधान के रूप में पेश आता है। 4. थायरॉयड ग्रंथि की कार्यप्रणाली पर नियंत्रण थायरेक्सीन हार्मोन के असंतुलन के कारण थायराइड की बीमारी होती है। थायराइड के प्रमुख लक्षणों में तेजी से वजन घटना या बढ़ना, अधिक थकान महसूस होना आदि हैं। कॉपर थायरॉयड ग्रंथि के बेहतर कार्य करने की जरूरत का पता लगाने वाले सबसे महत्वपूर्ण मिनरलों में से एक है। थायराइड विशेषज्ञों के अनुसार, कि तांबे के बर्तन में रखें पानी को पीने से शरीर में थायरेक्सीन हार्मोन नियंत्रित होकर इस ग्रंथि की कार्यप्रणाली को भी नियंत्रित करता है। 5. मस्तिष्क को उत्तेजित करता है तांबे में मस्तिष्क को उत्तेजित करने वाले और विरोधी ऐंठन गुण होते हैं। इन गुणों की मौजूदगी मस्तिष्क के काम को तेजी और अधिक कुशलता के साथ करने में मदद करते है। 6. गठिया में फायदेमंद गठिया या जोड़ों में दर्द की समस्या आजकल कम उम्र के लोगों में भी होने लगी है। यदि आप भी इस समस्या से परेशान हैं, तो रोज तांबे के पात्र का पानी पीये। तांबे में एंटी-इफ्लेमेटरी गुण होते हैं। यह गुण दर्द से राहत और दर्द की वजह से जोड़ों में सूजन का कारण बने - गठिया और रुमेटी गठिया के मामले विशेष रूप से फायदेमंद होते है। 7. त्वचा को बनाये स्वस्थ त्वचा पर सबसे अधिक प्रभाव आपकी दिनचर्या और खानपान का पड़ता है। इसीलिए अगर आप अपनी त्वचा को सुंदर बनाना चाहते हैं तो रातभर तांबे के बर्तन में रखें पानी को सुबह पी लें। ऐसा इसलिए क्योंकि तांबा हमारे शरीर के मेलेनिन के उत्पादन का मुख्य घटक है। इसके अलावा तांबा नई कोशिकाओं के उत्पादन में मदद करता है जो त्वचा की सबसे ऊपरी परतों की भरपाई करने में मदद करती है। नियमित रूप से इस नुस्खे को अपनाने से त्वचा स्वस्थ और चमकदार लगने लगेगी। 8. पाचन क्रिया को दुरुस्त रखें पेट जैसी समस्याएं जैसे एसिडिटी, कब्ज, गैस आदि के लिए तांबे के बर्तन का पानी अमृत के सामान होता है। आयुर्वेद के अनुसार, अगर आप अपने शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालना चाहते हैं तो तांबे के बर्तन में कम से कम 8 घंटे रखा हुआ पानी पिएं। इससे पेट की सूजन में राहत मिलेगी और पाचन की समस्याएं भी दूर होंगी। 9. उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करें अगर आप त्वचा पर फाइन लाइन को लेकर चिंतित हैं तो तांबा आपके लिए प्राकृतिक उपाय है। मजबूत एंटी-ऑक्सीडेंट और सेल गठन के गुणों से समृद्ध होने के कारण कॉपर मुक्त कणों से लड़ता है---जो झुर्रियों आने के मुख्य कारणों में से एक है---और नए और स्वस्थ त्वचा कोशिकाओं के उत्पादन में मदद करता है। 10. खून की कमी दूर करें ज्यादातर भारतीय महिलाओं में खून की कमी या एनीमिया की समस्या पाई जाती है। कॉपर के बारे में यह तथ्य सबसे ज्यादा आश्चर्यजनक है कि यह शरीर की अधिकांश प्रक्रियाओं में बेहद आवश्यक होता है। यह शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्वों को अवशोषित कर रक्त वाहिकाओं में इसके प्रवाह को नियंत्रित करता है। इसी कारण तांबे के बर्तन में रखे पानी को पीने से खून की कमी या विकार दूर हो जाते हैं। 11. वजन घटाने में मददगार गलत खान-पान और अनियमित जीवनशैली के कारण कम उम्र में वजन बढ़ना आजकल एक आम समस्या हो गई है। अगर आप अपना वजन घटाना चाहते हैं तो एक्सरसाइज के साथ ही तांबे के बर्तन में रखा पानी पीना आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। इस पानी को पीने से शरीर की अतिरिक्त वसा कम हो जाती है। 12. कैंसर से लड़ने में सहायक तांबे के बर्तन में रखा पानी वात, पित्त और कफ की शिकायत को दूर करने में मदद करता है। इस प्रकार से इस पानी में एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं, जो कैसर से लड़ने की शक्ति प्रदान करते हैं। अमेरिकन कैंसर सोसायटी के अनुसार तांबे कैंसर की शुरुआत को रोकने में मदद करता है, कैसे इसकी सटीक कारण अभी तक ज्ञात नहीं है, लेकिन कुछ अध्ययनों के अनुसार, तांबे में कैंसर विरोधी प्रभाव मौजूद होते है। 13. घाव को तेजी से भरें तांबा अपने एंटी-बैक्टीरियल, एंटीवायरल और एंटी इफ्लेमेटरी गुणों के लिए जाना जाता है। इसलिए इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि तांबा घावों को जल्दी भरने के लिए एक शानदार तरीका है। 14. दिल को स्वस्थ रखें दिल के रोग और तनाव से ग्रसित लोगों की संख्या तेजी बढ़ती जा रही है। यदि आपके साथ भी ये परेशानी है तो तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से आपको लाभ हो सकता है। तांबे के बर्तन में रखे हुए पानी को पीने से पूरे शरीर में रक्त का संचार बेहतरीन रहता है। कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल में रहता है और दिल की बीमारियां दूर रहती हैं।

राधे राधे

गोकुल में एक मोर रहता था. वह रोज़ भगवान कृष्ण भगवान के दरवाजे पर बैठकर एक भजन गाता था- “मेरा कोई ना सहारा बिना तेरे, गोपाल सांवरिया मेरे, माँ बाप सांवरिया मेरे”. रोज आते-जाते भगवान के कानों में उसका भजन तो पड़ता था लेकिन कोई खास ध्यान न देते. मोर भगवान के विशेष स्नेह की आस में रोज भजन गाता रहा. एक-एक दिन करते एक साल बीत गए. मोर बिना चूके भजन गाता रहा. प्रभु सुनते भी रहे लेकिन कभी कोई खास तवज्जो नहीं दिया. बस वह मोर का गीत सुनते, उसकी ओर एक नजर देखते और एक प्यारी सी मुस्कान देकर निकल जाते. इससे ज्यादा साल भर तक कुछ न हुआ तो उसकी आस टूटने लगी. साल भर की भक्ति पर भी प्रभु प्रसन्न न हुए तो मोर रोने लगा. वह भगवान को याद करता जोर-जोर से रो रहा था कि उसी समय वहां से एक मैना उडती जा रही थी. उसने मोर को रोता हुआ देखा तो उसे बड़ा आश्चर्य हुआ. आश्चर्य इस बात का नहीं था कि कोई मोर रो रहा है अचंभा इसका था कि श्रीकृष्ण के दरवाजे पर भी कोई रो रहा है! मैना सोच रही थी कितना अभागा है यह पक्षी जो उस प्रभु के द्वार पर रो रहा है जहां सबके कष्ट अपने आप दूर हो जाते हैं. मैना, मोर के पास आई और उससे पूछा कि तू क्यों रो रहा है? मोर ने बताया कि पिछले एक साल से बांसुरी वाले छलिये को रिझा रहा है, उनकी प्रशंसा में गीत गा रहा है लेकिन उन्होंने आज तक मुझे पानी भी नही पिलाया. यह सुन मैना बोली- मैं बरसाने से आई हूं. तुम भी मेरे साथ वहीं चलो. वे दोनों उड़ चले और उड़ते-उड़ते बरसाने पहुंच गए. मैना बरसाने में राधाजी के दरवाजे पर पहुंची और उसने अपना गीत गाना शुरू किया- श्री राधे-राधे-राधे, बरसाने वाली राधे. मैना ने मोर से भी राधाजी का गीत गाने को कहा. मोर ने कोशिश तो की लेकिन उसे बांके बिहारी का भजन गाने की ही आदत थी. उसने बरसाने आकर भी अपना पुराना गीत गाना शुरू कर दिया- मेरा कोई ना सहारा बिना तेरे, गोपाल सांवरिया मेरे, माँ बाप सांवरिया मेरे” राधाजी के कानों में यह गीत पड़ा. वह भागकर मोर के पास आईं और उसे प्रेम से गले लगा लगाकर दुलार किया. राधाजी मोर के साथ ऐसा बर्ताव कर रही थीं जैसे उनका कोई पुराना खोया हुआ परिजन वापस आ गया है. उसकी खातिरदारी की और पूछा कि तुम कहां से आए हो? मोर इससे गदगद हो गया. उसने कहना शुरू किया- जय हो राधा रानी आज तक सुना था की आप करुणा की मूर्ति हैं लेकिन आज यह साबित हो गया. राधाजी ने मोर से पूछा कि वह उन्हें करुणामयी क्यों कह रहा है. मोर ने बताया कि कैसे वह सालभर श्याम नाम की धुन रमाता रहा लेकिन कन्हैया ने उसे कभी पानी भी न पिलाया. राधाजी मुस्कराईं. वह मोर के मन का टीस समझ गई थीं और उसका कारण भी. राधाजी ने मोर से कहा कि तुम गोकुल जाओ. लेकिन इसबार पुराने गीत की जगह यह गाओ- जय राधे राधे राधे, बरसाने वाली राधे. मोर का मन तो नहीं था करुणामयी को छोडकर जाने का, फिर भी वह गोकुल आया राधाजी के कहे मुताबिक राधे-राधे गाने लगा. भगवान श्रीकृष्ण के कानों में यह भजन पड़ा और वह भागते हुए मोर के पास आए, गले से लगा लिया और उसका हाल-चाल पूछने लगे. श्रीकृष्ण ने पूछा कि मोर तुम कहां से आए हो. इतना सुनते ही मोर भड़क गया. मोर बोला- वाह छलिये एक साल से मैं आपके नाम की धुन रमा रहा था, लेकिन आपने तो कभी पानी भी नहीं पूछा. आज जब मैंने पार्टी बदल ली तो आप भागते चले आए. भगवान मुस्कुराने लगे. उन्होंने मोर से फिर पूछा कि तुम कहां से आए हो. मोर सांवरिए से मिलने के लिए बहुत तरसा था. आज वह अपनी सारी शिकवा-शिकायतें दूर कर लेना चाहता था. उसने प्रभु को याद दिलाया- मैं वही मोर हूं जो पिछले एक साल से आपके द्वार पर “मेरा कोई ना सहारा बिना तेरे, गोपाल सांवरिया मेरे, माँ बाप सांवरिया मेरे” गाया करता था. सर्दी-गर्मी सब सहता एक साल तक आपके दरवाजे पर डटा रहा और आपकी स्तुति करता रहा लेकिन आपने मुझसे पानी तक न पूछा. मैं फिर बरसाने चला गया. राधाजी मिलीं. उन्होंने मुझे पूरा प्यार-दुलार दिया. भगवान श्रीकृष्ण मुग्ध हो गए. उन्होंने मोर से कहा- मोर, तुमने राधा का नाम लिया यह तुम्हारे लिए वरदान साबित होगा. मैं वरदान देता हूं कि जब तक यह सृष्टि रहेगी, तुम्हारा पंख सदैव मेरे शीश पर विराजमान होगा. राधे-राधे

Monday, 26 September 2016

कमर दर्द

यूँ तो हम सभी कभी न कभी अपनी जिदगी में कमर दर्द जिसे अपर-बैक पेन या लोअर बैक पेन (एल.बी.पी./यू .बी .पी.) जैसी समस्या से दो-चार होते हैं,कमर के हिस्से में आयी स्प्रेन यानी मोच प्रायः कमर दर्द (एल.बी.पी./यू.बी.पी. ) का कारण होती है Iअब आप यह भी जानना चाहेंगे कि स्प्रेन यानी मोच होता क्या है ? मोच यानि स्प्रेन लिगामेंट(तंतुओं ) में लगी चोट के कारण उत्पन्न होती है I कई बार इस स्प्रेन यानी  मोच का कारण झटके से मुड़ना  या झुकना  अथवा किसी तरह से कमर की मांस पेशियों पर अचानक से दवाब बढ़ जाना होते हैं Iहमारे कमर या पेल्विक (कुल्हे )हिस्से की मांसपेशियों का मुख्य कार्य हमारी रीढ़ की हड्डी को संतुलन प्रदान करना होता है, इन्हीं की मदद से  रीढ़ की हड्डी हमें खड़े होने के साथ-साथ झुकने,मुड़ने सहित अन्य मूवमेंट्स (गति )को संपादित करने में मददगार होती है Iकमर के हिस्से में पायी जानेवाली पेरा-स्पायनल मांसपेशियाँ हमें दौड़ने,तेजी से चलने,वजन उठाने आदि क्रियाकलापों में सहारा देती है, लेकिन अचानक उत्पन्न हुए दवाब या किसी बाह्य कारण के उत्पन्न चोट या मोच जैसी स्थिति में यह हमें बेसहारा भी कर डालती है I
आइये अब जानें के कमर दर्द कितने प्रकार के होते हैं ?

-कमर के निचले हिस्से में उत्पन्न लोअर बैक स्प्रेन या स्ट्रेन(एल .बी.पी/एस  ) :यह हमारी दैनिक दिनचर्या जिस कारण बार-बार कमर में उत्पन्न होनेवाले दवाब उत्पन्न हो रहा हो, के कारण उत्पन्न हो जाती हैं,इसका कारण खेल के दौरान हुई दुर्घटना से लगी चोट या मोच भी हो सकती है Iकमर के हिस्से की मां पेशियों में उत्पन्न असहनीय दवाब के कारण मांसपेशियों के कोमल उतकों या लिगामेंट्स (तंतु ) टूट जाते हैं,इस कारण तीव्र दर्द उत्पन्न होता है I

कमर के उपरी हिस्से में उत्पन्न अपर बैक स्प्रेन या स्ट्रेन (यू.बी.पी./एस ) :हमारी रीढ़ की हड्डी का उपरी हिस्सा जिसे अपर बैक  या थोरेसिक स्पाईन कहते हैं यह कमर का सबसे कम मुड़ने वाला हिस्सा होता है Iरीढ़ की हड्डी का यह उपरी हिस्सा और इस हिस्से की मांसपेशियां हमारे शरीर को सीधा रखने में मददगार होती है Iइस हिस्से में दर्द का मूल कारण मांसपेशियों,लिगामेंट्स (तंतुओं ) एवं फाईब्रस उतकों में आयी चोट के कारण उत्पन्न होता है Iयूँ तो इस प्रकार के कमर दर्द का कारण भी दुर्घटना,चोट या अचानक से ट्विस्ट या मुड़ना हो सकता है लेकिन बिगड़ी जीवनशैली या गलत तरीके से कंप्यूटर,ड्राइविंग सीट  या टेबल पर बैठने  या गलत प्रकार से तकिया लगाकर सोने आदि से भी यह उत्पन्न हो सकता हैI

आईये अब इन कारणों को विदुवार रूप से जानें :

 -कमर के निचले हिस्से में लोअर-बैक -स्प्रेन या स्ट्रेन के उत्पन्न होने के महत्वपूर्ण कारण :-

*खेलने या व्यायाम के दौरान कमर के निचले हिस्से की मांसपेशियों का अचानक से मुड या खींच जाना I

*कमर के निचले हिस्से की मांसपेशियों का अत्यधिक इस्तेमाल जैसे कमर पर  लगातार प्रतिदिन भारी वजन उठाने से उत्पन्न दवाब  I

*गलत पोस्चर यानि उठने बैठने के गलत तरीके ,भार उठाने या अन्य दैनिक क्रियाकलापों जिसके कारण मांसपेशियों पर अनावश्यक दवाब जैसी स्थिति उत्पन्न हो रही हो I

*भारी वजन को अचानक उठाने या गलत तरीके से उठाने से I

*किसी प्रकार की दुर्घटना के कारण कमर के निचले हिस्से की संरचना पर लगी चोट के कारण I

*वजन बढ़ जाने से ,कमर के निचले हिस्से को अत्यधिक मोड़ने या कमर एवं पेट की  मांसपेशियों के कमजोर होने के कारण I

कमर के उपरी हिस्से में उत्पन्न अपर बेक स्प्रेन या स्ट्रेन  के उत्पन्न होने के महत्वपूर्ण कारण :-

*गलत पोस्चर (उठने,बैठने और सोने के तरीके ) के कारण  गर्दन एवं कन्धों पर उत्पन्न हुआ दवाब I

*लगातार दोहराया जानेवाला लिफ्टिंग,ट्विस्टिंग (मुड़ना ) एवं बेन्डिंग (झुकना ) अर्थात भार  उठाना,शरीर को  मोड़ना एवं घूम जाना जैसे मूवमेंट्स I

*किसी प्रकार के ट्रौमा यानि आघात के कारण रीढ़ की हड्डी  का  फ्रेक्चर (टूटना )या किसी प्रकार की चोट उत्पन्न हो जाने  से I

-आईये अब कमर दर्द के लक्षणों को जानने का प्रयास करें :

कमर के उपरी हिस्से में उत्पन्न स्प्रेन या स्ट्रेन के लक्षण :-



*कमर में तीव्र दर्द जो गति यानि मूवमेंट्स  के साथ बढ़ जाना I

*लो-बैक -पेन (कमर के निचले हिस्से का दर्द ) जो कुल्हे की तरफ को जाता हो I

*मांसपेशियों में जकडन उत्पन्न होना I

*प्रभावित हिस्से में सूजन एवं दबाने पर दर्द उत्पन्न होना I



*कमर की मांसपेशियों का कमजोर हो जाना I



*चलने,मुड़ने ,आगे झुकने,किनारे मुड़ने या सीधा खड़े होने में कठिनाई होना I



आईये अब रीढ़ के उपरी हिस्से की मांसपेशियों एवं रीढ़ के मध्य हिस्से की मांसपेशियों में आयी मोच या दवाब के कारण गर्दन के मूवमेंट्स में आयी परेशानी के लक्षण को जानें :-

*कमर के उपरी हिस्से में उत्पन्न होनेवाले दर्द के कारण गहरी सांस,खांसने ,थोरेसिक-स्पाईन वाले हिस्से को घुमाने या लगातार खड़े रहने से पीड़ा उत्पन्न होना I

*कमर के उपरी एवं गर्दन के हिस्से में उत्पन्न मांसपेशियों में जकडन उत्पन्न होना I

*रीढ़ के बीच वाले,गर्दन एवं कंधे के हिस्सों को मोड़ने में परेशानी का अनुभव I

-एल.बी .पी.(लो -बैक -पेन ) को डायग्नोज (पहचान ) करने के आधुनिक चिकित्सकीय तरीके :-

*कमर के निचले हिस्से में कम तीव्रता से  उत्पन्न दर्द को पहचानने के लिए चिकित्सक  प्रमुख रूप से रोगी की छोटी हिस्टरी (पुरानी रोग संबंधी कहानी ) पूछते  हैं Iइसमें रोगी को पुरानी लगी चोट या उसकी जीवनशैली की गड़बड़ी आदि को जानना चाहते हैं I इसके लिए चिकित्सक रोगी का भौतिक परिक्षण जिनसे सूजन या जकडन को जाना जा सके I

*इमेजिंग स्टडीज :रीढ़ की हड्डी के फ्रेक्चर,ट्यूमर या संक्रमण उत्पन्न होने की संभावना के कारण दर्द के उत्पन्न होने  को नकारना I*एम् .आर.आई.स्टडीज :इस अध्ययन से मेग्नेटिक फील्ड एवं रेडियो-फ्रीक्वेंसी के द्वारा  रीढ़ की हड्डी की  व्यापक एवं विस्तृत जानकारी मिलती है Iइस अध्ययन के द्वारा रीढ़ की हड्डी या लिगामेंट्स में आयी किसी भी प्रकार की चोट का पता लगाया जा सकता है I

 -कमर के उपरी हिस्से (अपर-बैक -पेन ) को डायग्नोज करने के आधुनिक चिकित्सकीय तरीके :-



*कमर के उपरी हिस्से के दर्द यानी थोरेसिक स्प्रेन या स्ट्रेन को पहचानने  के लिए भी चिकित्सक रोगी की छोटी पुरानी रोग से सम्बंधित कहानी पूछते हैं Iइसमें रोगी के स्पायनल एवं कंधे के हिस्से का सावधानी से परीक्षण करते हैं ताकि किसी भी प्रकार की संरचनागत विकृति ,सूजन एवं मूवमेंट्स (गति ) के बाधित होने एवं त्वचा में किसी प्रकार के परिवर्तन जैसे संक्रमण या ट्यूमर आदि की स्थितियों की संभावना को नकारना शामिल होता है Iइसके अलावा चिकित्सक  न्यूरोलोजिकल परीक्षण भी करते हैं जिनमें तंत्रिकाओं का  मोटर,सेंसरी एवं रिफ्लेक्स परीक्षण शामिल होता है Iइसमें चिकित्सक रोगी के हाथ को सिर के ऊपर,पीछे एवं 360 डिग्री के कोण तक घुमा कर अलग अलग परीक्षण करते हैं Iकमर के उपरी हिस्से के दर्द में भी चिकित्सक इमेजिंग स्टडीज एवं एम्.आर .आई. जांचों की मदद लेते हैं ताकि थोरेसिक-डिस्क-हर्नीयेशन,थोरेसिक कैंसर आदि को  नकारा जा सके I

यदि कमर दर्द उत्पन्न हो रहा हो तो कौन से विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए :

*  रोगी को आगे की तरफ झुकने से बचना चाहिए ऐसा खासकर हम तब करते हैं जब हमें कोई चीज उठानी होती है I

* रोगी को किसी भी भारी वस्तु को उठाने से बचना चाहिए I

* लम्बे समय तक एक ही स्थिति में बने रहना जैसे लगातार कंप्यूटर पर काम करने आदि कि स्थिति में एक छोटा सा ब्रेक (अल्प-विराम ) मददगार होता है,इसके अलावा वे लोग जो लगातार खड़े रहते हों,उन्हें भी बारी-बारी से एक पैर को किसी ऊँची जगह पर रखकर आराम लेना चाहिए I

*टीवी देखते समय या व्यायाम करते समय अथवा कुर्सी पर बैठी हुई या खडी हुई किसी भी स्थिति में कमर को सीधे आर्च की तरह घुमाने से बचना चाहिए I

*किसी भी भारी वस्तु को आगे से खींचने से बचना चाहिए जहां तक संभव हो आप ऐसी वस्तु को आगे की और धक्का देकर सरकायें न कि इसे खींचें I

*पैरों को क्रास कर बैठने की स्थिति से बचें,हमेशा बैठने की स्थिति ऐसी हो कि घुटने की स्थिति कुल्हे से ऊपर हो और एडीयाँ फुटरेस्ट पर हों I

*दोनों हाथों को किनारे की तरफ लटकाकर बैठने की स्थिति से भी बचना चाहिए,हमेशा हाथों को कुर्सी पर बैठने की स्थिति में आर्म-रेस्ट पर ही रखना चाहिए I

*आपका बिस्तर अत्यधिक मुलायाम या कठोर नहीं होना चाहिए ,जहां तक हो सके पतले बिस्तर का प्रयोग आपके लिए आरामदायक होता है I

ये तो रही कमर दर्द को जानने,पहचानने एवं समझने की सामान्य से लगती हुए महत्वपूर्ण बातें,लेकिन अब आप यह भी जानना चाहेंगे कि इसका निवारण क्या है ?

*बेड रेस्ट :-कमर के किसी भी हिस्से में उत्पन्न होने वाले दर्द में चिकित्सा का मकसद पीड़ित व्यक्ति की पीड़ा को कम करना ही  पहला उद्देश्य होता है और इसे सबसे पहले आराम यानि बेड-रेस्ट देकर फ़ौरन पाया जा सकता है,कमर पर आनेवाले दवाब को आराम देकर आसानी से काबू में किया जा सकता है Iलगभग 48 घंटे का बेड-रेस्ट किसी भी प्रकार के चोट आदि के तुरंत बाद रोगी को फौरी तौर पर दिया जाना चाहिए ,इस प्रकार शरीर को  आराम देकर कमर की  मांसपेशियों में उत्पन्न जकडन (स्पाज्म ) को कम किया जा सकता है Iलेकिन कमर दर्द की  प्रारम्भिक अवस्था में लम्बे समय तक दिया गया बेड-रेस्ट मांसपेशियों को कमजोर भी कर सकता है अतः प्रायः इसे 48 घंटे से अधिक नहीं दिया जाता है I

*गर्म या ठंडा तापक्रम उत्पन्न कर चिकित्सा देना  :ठण्ड चिकित्सा में आईस-पैक्स  (बर्फ के टुकड़ों ) को कमर के चोटिल हिस्से में प्रारम्भ के 48-72 घंटे तक क्रमशः 20-30 मिनट तक प्रयोग कराया जाता हैं,इससे चोटिल हिस्से में सूजन एवं पीड़ा कम हो जाती है Iइसी प्रकार चिकित्सक चोटिल होने के 48-72 घंटे के भीतर हीट-ट्रीटमेंट देते हैं,जिसमें गर्मी से दवाब उत्पन्न कर या पानी से की गयी सिकाई शामिल होती है I