Don’t cry over the past, it’s gone. Don’t stress about the future, it hasn’t arrived. Live in the present and make it beautiful.. बीते समय के लिए मत रोइए, वो चला गया, और भविष्य की चिंता करना छोड़ो क्यूंकि वो अभी आया ही नहीं है, वर्तमान में जियो , इसे सुन्दर बनाओ...
Friday, 14 October 2016
आलोचना
Thursday, 13 October 2016
बीता हुआ कल
बुद्ध भगवान एक गाँव में उपदेश दे रहे थे. उन्होंने कहा कि “हर किसी को धरती माता की तरह सहनशील तथा क्षमाशील होना चाहिए. क्रोध ऐसी आग है जिसमें क्रोध करनेवाला दूसरोँ को जलाएगा तथा खुद भी जल जाएगा.” सभा में सभी शान्ति से बुद्ध की वाणी सून रहे थे, लेकिन वहाँ स्वभाव से ही अतिक्रोधी एक ऐसा व्यक्ति भी बैठा हुआ था जिसे ये सारी बातें बेतुकी लग रही थी . वह कुछ देर ये सब सुनता रहा फिर अचानक ही आग- बबूला होकर बोलने लगा, “तुम पाखंडी हो. बड़ी-बड़ी बाते करना यही तुम्हारा काम. है। तुम लोगों को भ्रमित कर रहे हो. तुम्हारी ये बातें आज के समय में कोई मायने नहीं रखतीं “ ऐसे कई कटु वचनों सुनकर भी बुद्ध शांत रहे. अपनी बातोँ से ना तो वह दुखी हुए, ना ही कोई प्रतिक्रिया की ; यह देखकर वह व्यक्ति और भी क्रोधित हो गया और उसने बुद्ध के मुंह पर थूक कर वहाँ से चला गया। अगले दिन जब उस व्यक्ति का क्रोध शांत हुआ तो उसे अपने बुरे व्यवहार के कारण पछतावे की आग में जलने लगा और वह उन्हें ढूंढते हुए उसी स्थान पर पहुंचा , पर बुद्ध कहाँ मिलते वह तो अपने शिष्यों के साथ पास वाले एक अन्य गाँव निकल चुके थे . व्यक्ति ने बुद्ध के बारे में लोगों से पुछा और ढूंढते- ढूंढते जहाँ बुद्ध प्रवचन दे रहे थे वहाँ पहुँच गया। उन्हें देखते ही वह उनके चरणो में गिर पड़ा और बोला , “मुझे क्षमा कीजिए प्रभु !” बुद्ध ने पूछा : कौन हो भाई ? तुम्हे क्या हुआ है ? क्यों क्षमा मांग रहे हो ?” उसने कहा : “क्या आप भूल गए। .. मै वही हूँ जिसने कल आपके साथ बहुत बुरा व्यवहार किया था. मै शर्मिन्दा हूँ. मै मेरे दुष्ट आचरण की क्षमायाचना करने आया हूँ.” भगवान बुद्ध ने प्रेमपूर्वक कहा : “बीता हुआ कल तो मैं वहीँ छोड़कर आया गया और तुम अभी भी वहीँ अटके हुए हो. तुम्हे अपनी गलती का आभास हो गया , तुमने पश्चाताप कर लिया ; तुम निर्मल हो चुके हो ; अब तुम आज में प्रवेश करो. बुरी बाते तथा बुरी घटनाएँ याद करते रहने से वर्तमान और भविष्य दोनों बिगड़ते जाते है. बीते हुए कल के कारण आज को मत बिगाड़ो.” उस व्यक्ति का सारा बोझ उतर गया. उसने भगवान बुद्ध के चरणों में पड़कर क्रोध त्यागका तथा क्षमाशीलता का संकल्प लिया; बुद्ध ने उसके मस्तिष्क पर आशीष का हाथ रखा. उस दिन से उसमें परिवर्तन आ गया, और उसके जीवन में सत्य, प्रेम व करुणा की धारा बहने लगी. मित्रों , बहुत बार हम भूत में की गयी किसी गलती के बारे में सोच कर बार-बार दुखी होते और खुद को कोसते हैं। हमें ऐसा कभी नहीं करना चाहिए, गलती का बोध हो जाने पर हमे उसे कभी ना दोहराने का संकल्प लेना चाहिए और एक नयी ऊर्जा के साथ वर्तमान को सुदृढ़ बनाना चाहिए।
Friday, 7 October 2016
आम का पेड़
एक छोटे बालक को आम का पेड बहोत पसंद था। जब भी फुर्सत मिलती वो तुरंत आम के पेड के पास पहुंच जाता। पेड के उपर चढना, आम खाना और खेलते हुए थक जाने पर आम की छाया मे ही सो जाना। बालक और उस पेड के बीच एक अनोखा संबंध बंध गया था। * बच्चा जैसे जैसे बडा होता गया वैसे वैसे उसने पेड के पास आना कम कर दिया। कुछ समय बाद तो बिल्कुल ही बंद हो गया। आम का पेड उस बालक को याद करके अकेला रोता रहता। एक दिन अचानक पेड ने उस बच्चे को अपनी और आते देखा। आम का पेड खुश हो गया। * बालक जैसे ही पास आया तुरंत पेड ने कहा, "तु कहां चला गया था? मै रोज़ तुम्हे याद किया करता था। चलो आज दोनो खेलते है।" बच्चा अब बडा हो चुका था, उसने आम के पेड से कहा, अब मेरी खेलने की उम्र नही है। मुझे पढना है, पर मेरे पास फी भरने के लिए पैसे नही है।" पेड ने कहा, "तु मेरे आम लेकर बाजार मे जा और बेच दे, इससे जो पैसे मिले अपनी फीस भर देना।" * उस बच्चे ने आम के पेड से सारे आम उतार लिए, पेड़ ने भी ख़ुशी ख़ुशी दे दिए,और वो बालक उन सब आमो को लेकर वहा से चला गया। * उसके बाद फिर कभी वो दिखाई नही दिया। आम का पेड उसकी राह देखता रहता। एक दिन अचानक फिर वो आया और कहा, अब मुझे नौकरी मिल गई है, मेरी शादी हो चुकी है, मेरा संसार तो चल रहा है पर मुझे मेरा अपना घर बनाना है इसके लिए मेरे पास अब पैसे नही है।" * आम के पेड ने कहा, " तू चिंता मत कर अभी में हूँ न, तुम मेरी सभी डाली को काट कर ले जा, उसमे से अपना घर बना ले।" उस जवान ने पेड की सभी डाली काट ली और ले के चला गया। * आम का पेड के पास कुछ नहीं था वो अब बिल्कुल बंजर हो गया था। कोई उसके सामने भी नही देखता था। पेड ने भी अब वो बालक/ जवान उसके पास फिर आयेगा यह आशा छोड दी थी। * फिर एक दिन एक वृद्ध वहां आया। उसने आम के पेड से कहा, तुमने मुझे नही पहचाना, पर मै वही बालक हूं जो बारबार आपके पास आता और आप उसे हमेशा अपने टुकड़े काटकर भी मेरी मदद करते थे।" आम के पेड ने दु:ख के साथ कहा, "पर बेटा मेरे पास अब ऐसा कुछ भी नही जो मै तुझे दे सकु।" वृद्ध ने आंखो मे आंसु के साथ कहा, "आज मै कुछ लेने नही आया हूं, आज तो मुझे तुम्हारे साथ जी भरके खेलना है, तुम्हारी गोद मे सर रखकर सो जाना है।" * ईतना कहते वो रोते रोते आम के पेड से लिपट गया और आम के पेड की सुखी हुई डाली फिर से अंकुरित हो उठी। * वो वृक्ष हमारे माता-पिता समान है, जब छोटे थे उनके साथ खेलना अच्छा लगता था। जैसे जैसे बडे होते गये उनसे दुर होते गये।पास तब आये जब जब कोई जरूरत पडी, कोई समस्या खडी हुई। आज भी वे माँ बाप उस बंजर पेड की तरह अपने बच्चों की राह देख रहे है। आओ हम जाके उनको लिपटे उनके गले लग जाये जिससे उनकी वृद्धावस्था फिर से अंकुरित हो जाये। यह कहानी पढ कर थोडा सा भी किसी को एहसास हुआ हो और अगर अपने माता-पिता से थोडा भी प्यार करते हो तो... माँ बाप आपको सिर्फ प्यार प्यार प्यार देंगे..
धैर्य
Thursday, 6 October 2016
घरेलू नुस्खे
1. दो चम्मच धनिया उबालकर सेवन करने से आँव में फौरन लाभ होगा । 2. प्रात: काल बिना कुछ खाए 5दाने मुनक्का खाने से कब्ज दूर होती है । 3. लौंग के तेल की दो-तीन बूँदें चीनी या बतासे के साथ लेने से हैजे में फायदा होता है । 4. एक गिलास गरम पानी में डेढ़ चम्मच शहद गरारे करने से बैठा हुआ गला ठीक हो जाता है और आवाज खुल जाती है । 5. शहद और अदरक का रस एक-एक चम्मच मिलाकर सुबह शाम पीने से जुकाम ठीक हो जाता है । 6. एरंडी के तेल में कपूर मिलाकर सुबह शाम मसूड़ों पर मलें यह प्रयोग मसूड़ों के लिये अत्यंत लाभकारी है। 7. अमरूद के पत्तों को एक लीटर पानी में डालकर काढ़ा तैयार कीजिये । 8. पत्तियों को इतना उबालिये की उनका रस उस पानी में आ जाए और पानी उबले दूध की तरह गाढ़ा हो जाए । 9. इस काढ़े को बार-बार कुल्ला कीजिये, इससे भयानक से भयानक दांत का दर्द भी दूर हो जायेगा । 10. हल्दी और दूध गर्म कर उसमें गुड़ मिलाकर पीने से जुकाम, कफ व शरीर दर्द से राहत मिलती है । 11. जायफल के तेल का फाहा दांत में रखने से दंतक्षय रुक जाता है । और दांत के कीड़े मर जाते है । और दांत की पीड़ा भी शांत होती है । 12. देसी घी को जरा सा गरम करके उसमें चुटकी भर नमक मिलाकर होंठों पर मलें, होंठों का फटना बंद हो जायेगा । 13. जहां खटमल दिखाई दें वहां नारंगी का छिलका कुचलकर रख दें खटमल नौ दो ग्यारह हो जाएंगे । 14. भुने हुये प्याज को पीसकर उसमें जीरे का चूर्ण और मिश्री मिलाकर खाने से लू का प्रकोप नष्ट होता है । 15. मुख की दुर्गंध तथा छाले दूर करने के लिये अनार की छाल पानी में उबाल कर थोड़ी देर मुंह में रखकर गरारे करें । 16. खांसी आने पर अरबी की सब्जी खाएं इससे खांसी को तुरंत आराम मिलेगा| 17. तुलसी के पत्तों का रस चीनी में मिलाकर पीने से दिन में दो-तीन बार प्याज खाने या इमली को भिगो कर उसका पानी पीने से लू नहीं लगती । 18. जले हुये स्थान पर केले का गूदा लगाने से जलन मिटेगी व फफोले नहीं पड़ेगे । 19. कत्था पानी में घोल कर गाढ़ा- गाढ़ा छालों पर लेप करें या गाय के दूध से बने दही में पका केला मिलाकर खाएं, छाले बिल्कुल ठीक हो जाएंगे । 20. गन्ने का रस पीलिया रोग में बड़ा लाभ-प्रद है यह पीलिया की जड़ काट देता है । 21. कपूर के चूर्ण को नारियल तेल में मिलाकर रात को सिर में लगायें सुबह किसी अच्छे शैम्पू से सिर धो ले जुएं मर जाएंगे । 22. ततैया काटने पर कटे हुये स्थान पर तुरंत मिट्टी का तेल लगाएं, जलन शांत हो जाएगी । 23. एक चम्मच तुलसह का रस, एक चम्मच अदरक का रस और एक चम्मच शहद मिलाकर दिन में तीन-चार बार सेवन करने से कफ तथा खांसी में राहत मिलती है ।
Wednesday, 5 October 2016
गूगल सीईओ सुन्दर पिचई ने बताई एक प्रेरक कहानी -
- - एक रेस्टोरेंट में कॉकरोच उड़कर आया और एक महिला पर बैठ गया. महिला कॉकरोच देखकर चिल्लाने लगी, वह डर चुकी थी. उसके चेहरे पर खौफ साफ़ दिखाई दे रहा था. कांपते हुए होठ के साथ अपने दोनों हातो की सहायता से कॉकरोच से पीछा छुड़ाना चाहती थी. उसकी प्रतिक्रिया ऐसी थी कि उसके ग्रुप के बाकि लोग भी भयभीत हो गये. उस महिला ने किसी तरह कॉकरोच को खुद से दूर किया लेकिन वो उड़ कर दूसरी महिला पर बैठ गया. अब यह ड्रामा जारी रखने की बारी दूसरी महिला की थी. उसे बचाने के लिए पास खड़ा वेटर आगे बढ़ा. तभी महिला ने कोशिश करते हुए कॉकरोच को भगाने की कोशिश की और वह सफल हुई, अब वह कॉकरोच उड़कर वेटर की शर्ट पर आकर बैठ गया. लेकिन वेटर घबराने की बजाये शांत खड़ा रहा और कॉकरोच की हरकतों को अपने शर्ट पर देखता रहा. जब कॉकरोच पूरी तरह शांत हो गया तो वेटर ने उसे अपनी उँगलियों से पकड़ा और उसे रेस्टोरेंट से बाहर फेंक दिया. मैं कॉफ़ी पीते हुए ये मनोरंजक दृश्य देख रहा था तभी मेरे दीमाग में कुछ सवाल आये, क्या वह कॉकरोच इस घटना के लिए जिम्मेदार था? अगर हाँ, तो वह वेटर परेशान क्यों नही हुआ? उसने बिना कोई शोर-शराबा किये परफेक्शन के साथ उस स्थिति को संभाल लिया. ये वो कॉकरोच नही था बल्कि उन लोगों की परिस्थिती को संभालने की अक्षमता थी, जिसने उन महिलाओं को परेशान किया. मैंने महसूस किया, यह मेरे पिता का या बॉस का या वाइफ का चिल्लाना नही है जो मुझे परेशान करता है, बल्कि यह मेरी अक्षमता है जो में लोगों द्वारा बनाई की गयी परिस्थितियों को संभाल नही सकता. यह ट्रैफिक जाम नही है जो मुझे परेशान करता है बल्कि मेरी उस परेशानी भरी स्थिति को हैंडल ना कर पाने की अक्षमता है जिससे मैं ट्रैफिक जाम के वजह से परेशान हो जाता हूँ. प्रॉब्लम से ज्यादा, मेरी उस प्रॉब्लम के प्रति प्रतिक्रिया है जो मेरे जीवन में परेशानी पैदा करती है. इस कहानी का सबक : Moral From This Motivational Story इस घटना ने मेरे सोचने का तरीका बदल दिया, हमे अपने जीवन में कठिन समय में प्रतिक्रिया नही करनी चाहिए, बल्कि उसे समझकर उसका जवाब देना चाहिए. उस महिला ने प्रतिक्रिया व्यक्त की बल्कि वेटर ने उस परिस्थिती को समझा और उसका समाधान निकाला, प्रतिक्रिया हम बिना सोचे समझे दे देते हैं बल्कि जवाब हम सहज तरीके से सोच-समझ कर देते हैं. जिंदगी को समझने का एक बहुत ही सुन्दर तरीका है. जो लोग खुश हैं वो इसलिए खुश नही हैं कि उनके जीवन में सबकुछ ठीक चल रहा है. बल्कि इसलिए खुश हैं कि उनका जीवन में सारी चीजों के प्रति दृष्टिकोण ठीक है. इसीलिए जिंदगी में गुस्सा, जलन, जल्दबाजी और चिंता करने की प्याज प्यार करे और सब्र रखे. क्योकि, “जो भी हुआ अच्छे के लिये हुआ और जो कुछ भी होगा वह भी अच्छे के लिये होगा ”
संतुष्ट
Tuesday, 4 October 2016
बावन शक्ति पीठ
सज्जनता
सज्जनता के असर" जीवन में सज्जनता के असर की आप कल्पना भी नहीं कर सकते पिछले दिनों एक कोयला खदान के दौरे पर था। साथ में शीर्ष मैनेजमेंट टीम के एक सदस्य भी थे। मैंने देखा कि रास्ते में खदान के जितने भी श्रमिक मिले, उन सभी से वे वरिष्ठ अफसर कुशलक्षेम पूछते हुए चल रहे थे। मुझे थोड़ी दिक्कत होने लगी, क्योंकि इससे हमें अपने गंतव्य तक पहुंचने में देर हो रही थी। मुझे उनका रवैया बड़ा लापरवाह लग रहा था। बहरहाल, हम लिफ्ट से जमीन के करीब 500 मीटर नीचे पहुंचे। कोयला खदान में घुसने का यह मेरा पहला अनुभव था।मैंने अफसर से पूछा कि अगर यहां कोई दुर्घटना हो जाए और हम फंस जाएं तो क्या करेंगे। उन्होंने कहा, ‘मैं हमेशा यह कहानी सभी लोगों को सुनाता हूं। आपको भी सुना देता हूं। इससे शायद आपको आपके सवाल का जवाब खुद ही मिल जाएगा।’ उन्होंने कहानी बताना शुरू की।...जॉन एक मीट डिस्ट्रीब्यूशन फैक्ट्री में काम करता था। एक दिन जब उसने रोज का काम खत्म कर लिया तो वह मीट कोल्ड रूम में चला गया। वह कुछ निरीक्षण करने गया था। लेकिन दुर्भाग्य से जब वह अंदर था, तभी कोल्ड रूम का दरवाजा बंद हो गया। वह अकेला वहीं फंस गया। उसने पूरी ताकत से दरवाजा पीटना शुरू कर दिया। चिल्लाया भी। लेकिन किसी ने उसकी आवाज नहीं सुनी। क्योंकि बाहर के भी ज्यादातर लोग जा चुके थे। कोल्ड रूम के भीतर तापमान शून्य से भी नीचे था। खून जमा देने वाले उस माहौल में जॉन के लिए अपने शरीर को गर्म रखना मुश्किल हो रहा था। पांच घंटे बाद तो वह जमने लगा। मौत की कगार पर ही पहुंच गया। लेकिन तभी संयोग से एक सिक्योरिटी गार्ड ने कोल्ड रूम का दरवाजा खोल दिया। वह न जाने किस काम से आया था। लेकिन जॉन के लिए वह भगवान के द्वारा भेजी मदद के जैसा था। पूरी तरह ट्रेंड उस गार्ड ने कोल्ड रूम में जॉन को देखा तो जरा भी देर नहीं की।गार्ड ने तुरंत जॉन को एक कंबल से लपेटा और बाहर ले आया। उसके लिए चाय लाकर दी। पूरे शरीर को रगडऩा शुरू कर दिया। ताकि शरीर में कुछ गर्मी आए और जमा हुआ खून रगों में फिर दौडऩे लगे। इससे जॉन की हालत में कुछ सुधार हुआ। करीब दो घंटे बाद वह सामान्य हो सका। तब उसने गार्ड से पूछा, ‘तुम इस वक्त कोल्ड रूम में क्या करने आए थे क्योंकि वहां की निगरानी करना तो तुम्हारा काम नहीं है।’ गार्ड ने इसका जो जवाब दिया उसे सुनकर जॉन अवाक् रह गया। गार्ड कहने लगा, ‘मैं इस फैक्ट्री में 35 साल से काम कर रहा हूं। सैकड़ों लोग यहां सुबह-शाम आते-जाते हैं। वे लोग मेरे सामने से ऐसे निकल जाते हैं, जैसे मैं हूं ही नहीं। लेकिन आप उन लोगों में से हैं जो मुझसे रोज आते समय हैलो या गुड मॉर्निंग कहते हैं। और जाते हुए गुड बाय या गुड इवनिंग। इससे मुझे अहसास होता है कि आप मेरे काम की भी इज्जत करते हैं। मेरी उम्र की कद्र करते हैं। आज सुबह भी आपने मुझसे हैलो कहा था। लेकिन शाम के वक्त आप नहीं दिखे।‘मैं काफी देर तक आपका इंतजार करता रहा। लेकिन जब एक-एक कर सब चले गए और आप फैक्ट्री से नहीं निकले तो मुझे शक हुआ। मुझे लगा कि कहीं कुछ गड़बड़ है। मैंने फैक्ट्री का चप्पा छान मारा। जब आप कहीं नहीं मिले तो कोल्ड रूम खोलकर देखा। यहां आप बेसुध पड़े हुए थे। मेरी जुबान पर जैसे ताला पड़ गया था। मेरी हर गलतफHहमी दूर हो चुकी थी। सभी सवालों का जवाब मिल गया था। "सज्जनता का जीवन में, लोगों पर जो असर होता है, उसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। और यह असर कब, कहां, किस रूप में सामने आ जाए यह भी सोच नहीं सकते!!!!!